आज़ाद देश में घुलाम बन कर रहते हैं,
कुछ लोग हमें नामुराद कहते हैं।
वोह वक़्त कुछ और था,
आगे दौर कुछ और होगा।
हम कल नहीं, आज हैं
माना अपने आप से थोड़े नाराज़ हैं।
उनका बसंती था,
हमारा रंग कुछ और होगा।
पर टोली में आज, हम भी शामिल हो गए,
किसी एक राह पर चलने के, हम भी कायल हो गए।
अब तुमसे क्या छुपाना, हम भी कमीने हैं।
हम भी गोली खाएँगे,
हाज़िर ये दिल, ये सीने हैं।
Tuesday, August 18, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
3 comments:
test comment
hum bhi goli khaayenge
hum bhi phir mar jaayenge
itihaas ke sunehre pannon mein
hum bhi kahin kho jaayenge
rang zaroor kuch aur hoga
yeh daur bhi guzar jaayega
magar darr hai kahin us raag ka
antara phir na badalne paayega
wow!!! @ amit and mots... awesome both of you!
Post a Comment